ब्राह्मी के फायदे
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ब्राह्मी क्या है ?
ब्राह्मी के फायदे
ब्राह्मी मैद्य रसायन के रूप भारत में आयुर्वेदिक और पारंपरिक दवाओं के रूप में उपयोग की जा रही है। इसका नाम ब्रह्मा शब्द से लिया गया है, जो देवता ब्रह्मांड के निर्माण के लिए उत्तरदाई हैं ।
इसलिए ब्राह्मी का मतलब है ब्रह्मा की शक्ति।
ब्राह्मी तंत्रिका तंत्र को शक्ति देती है। इसे जलनिम्ब (water hyssop) भी कहते हैं क्योंकि यह पौधा नम स्थानों (नदी, नालो, नहरों के किनारों के आस पास आदि) में पाया जाता है,
ब्राह्मी का वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोंनिरी (Bacopa monnieri) है।
विश्व में प्रमुख तौर पर ब्राह्मी उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में पाई जाती है। भारत, नेपाल, पाकिस्तान, चीन और श्रीलंका में ब्राह्मी उगाई जाती है। भारत के पंजाब, राजस्थान, बिहार, दिल्ली, गोवा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व केरल में ब्राह्मी देखने को मिलती है। कई अरब देशों जैसे कि यमन, सऊदी अरब और कुवैत में भी ब्राह्मी उगाई जाती है।
ब्राह्मी के फायदे
ब्राह्मी बुद्धि बढा़ने वाली , पित्तनाशक, मजबूत याददाश्त, ठंडक देने के साथ शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। कफ को दूर करने के अलावा यह ब्लड प्यूरीफाई करके त्वचा को स्वस्थ रखता है। मानसिक रोगों में ब्राह्मी के पत्तों का चूर्ण लाभदायक होता है। हृदय की दुर्बलता में इसका प्रयोग अतिउत्तम है।
ब्राह्मी का सेवन मेमोरी बढ़ाने के लिए फायदेमंद (Brahmi Vati Benefits for Mental Health )
ब्राह्मी के उपयोग से मस्तिष्क की कमजोरी व मस्तिष्क संबंधी सभी विकार नष्ट होते हैं। ब्राह्मी याददाश्त एवं बुद्धि को भी बढ़ाती है ॥
दिल की बीमारी में फायदेमंद है ब्राह्मी का उपयोग (Brahmi is Beneficial for Heart Disease )
ब्राह्मी के फायदे
कई लोगों को ह्रदय संबंधी परेशानी होती रहती हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्राह्मी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे वातनाड़ियों तथा हृदय से संबंधित बीमारियाँ तुरंत ठीक हो जाती हैं।
अच्छी नींद नहीं आने की परेशानी में ब्राह्मी का उपयोग लाभदायक (Brahmi Uses to Cure Insomnia in Hindi)
जो व्यक्ति नींद ना आने की परेशानी से ग्रस्त हैं उनको ब्राह्मी का प्रयोग (brahmi uses) करना चाहिए।
हिस्टीरिया के रोग में ब्राह्मी का इस्तेमाल (Benefits of Brahmi in Treatment of Hysteria in Hindi)
ब्राह्मी हिस्टीरिया के रोग में लाभदायक होती है। हिस्टीरिया से बीमार ब्राह्मी के उपयोग से लाभ पा सकते हैं।
खून के प्रवाह को बढ़ाने में मददगार
नाइट्रिक ऑक्साइड ब्राह्मी में भरपूर मिलता है, जिससे बीपी का खतरा कम होता है. ब्राह्मी खून को पतला करता है, जिससे नसों में रक्त का प्रवाह आराम से हो पाता है.
तनाव कम करने में सहायक
ब्राह्मी के फायदे
ब्राह्मी में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं. यह तनाव कम करने में सहायक है
कैंसर के रोकथाम लिए ब्राह्मी के गुण
ब्राह्मी के अंदर कैंसर अवरोधक गुण होने के कारण यह मस्तिष्क के ट्यूमर की कोशिकाओं को मारने के साथ साथ स्तन कैंसर की हानिकारक कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करती है, इसलिए यदि कैंसर शूरूआत पर हों, तो ब्राह्मी का उपयोग लाभदायक है
Type 2 शुगर मरीजों को होता है अधिक फायदा
ब्राह्मी में एंटीडायबिटिक और एंटी हाइपरग्लाइसेमिक प्रापर्टीज मौजूद होती हैं. इसके रोजाना उपयोग से शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है. जिसके कारण Type 2 शुगर में ब्राह्मी के सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं.
मिर्गी के लिए ब्राह्मी के उपयोग
आयुर्वेद के हिसाब से ब्राह्मी शरीर की सभी नसों को मजबूत व सभी विकारों को दूर कर सकती है. मिर्गी की बीमारी में एक आयुर्वेदिक दवा मेंटट का प्रयोग किया जाता है, जिसमें ब्राह्मी भी उपयोग की जाती है.
श्वास संबंधित समस्याओं में गुणकारी
जिनको अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी श्वास की बीमारियां हैं, उनके लिए ब्राह्मी का सेवन लाभदायक होता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट और एडेप्टोजेनिक खूबियों के चलते फेफड़े मजबूत होते हैं. ब्राह्मी के सेवन से श्वास नली की जलन व सूजन की परेशानी भी दूर होती है.
बच्चों को अवश्य उपयोग करना चाहिए
बढ़ती उम्र में बच्चों का दिमाग विकसित होता रहता है. इस दौरान यदि बच्चों को ब्राह्मी का सेवन कराया जाय, तो बच्चों के ऊपर भी इसका लाभदायक परिणाम दिखाई दे सकता है और बच्चे का दिमाग काफी तेजी से विकसित हो सकता है.
पाचन तंत्र मजबूत होता है :
ब्राह्मी को प्रतिदिन लेने से हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। यह विटामिनों और मिनरलों का अच्छा स्राेत है। इसमें मौजूद फाइबर आंतों में से हानिकारक पदार्थों को साफ करता है और पाचन तंत्र को शक्तिशाली बनाता है । साथ ही पाचन प्रणाली को धीमा करके शरीर को हमेशा फुर्तीला बनाए रखने में मदद करते हैं।
गठिया के दर्द से राहत दिलाए :
अर्थराइटिस की परेशानी से आराम पाने के लिए ब्राह्मी से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है। यह बॉवेल सिंड्रोम और गैस्ट्रिक अल्सर से भी बचाव करने में मदद करता है।
तोतलेपन की समस्या को दूर करने में सहायक :
ब्राह्मी के प्रयोग से हकलाने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
ब्राह्मी का सेवन कैसे करते हैं? ब्राह्मी सेवन करने की मात्रा
1 टैबलेट दिन में दो बार भोजन करने के बाद या चिकित्सक के निर्देशानुसार अनुसार मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए
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