Papita Khane Ke Fayde-पपीता खाने के हैरतअंगेज लाभ

Papita Khane Ke Fayde

Papita Khane Ke Fayde-पपीता एक उष्णकटिबंधीय फल है जिसने अपने मीठे और ताज़ा स्वाद,रसदार बनावट और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है। पपीता, जिसे पपाया या पपाव के रूप में भी जाना जाता है, विटामिन, खनिज, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और पाचन एंजाइमों से भरपूर होता है, जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य का समर्थन कर सकता है।

इस लेख में, हम पपीता खाने के फायदों के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके पोषण प्रोफाइल, एंटीऑक्सिडेंट्स, डाइजेस्टिव एंजाइम्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड्स, इम्यून-बूस्टिंग इफेक्ट्स आदि को कवर करेंगे।

पपीते के अन्दर पाए जाने वाले पोषक तत्व (Papita Khane Ke Fayde)

पपीता पोषक तत्वों से भरपूर फल है जो अपेक्षाकृत कम कैलोरी वाले पैकेज में विटामिन, खनिज और फाइबर की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान कर सकता है। एक मध्यम पपीता (लगभग 300 ग्राम) में लगभग होता है जिसमें :

  • कैलोरी: 119
  • कार्बोहाइड्रेट: 30 ग्राम
  • फाइबर: 5 ग्राम
  • प्रोटीन: 2 ग्राम
  • वसा: 0.5 ग्राम
  • विटामिन सी: दैनिक मूल्य का 224% (डीवी)
  • विटामिन ए: डीवी का 31%
  • फोलेट: DV का 13%
  • पोटेशियम: DV का 12%
  • मैग्नीशियम: DV का 8%
  • पपीता अन्य विटामिन और खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत है, जैसे कि विटामिन के, कैल्शियम, आयरन और जिंक, हालांकि कम मात्रा में। इसके अलावा, पपीता कैलोरी और वसा में कम होता है लेकिन फाइबर में उच्च होता है, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

1-पपीता एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है

Papita Khane Ke Fayde पपीता एंटीऑक्सिडेंट का एक समृद्ध स्रोत है,जो ऐसे यौगिक हैं जो हानिकारक अणुओं को बेअसर कर सकते हैं जिन्हें फ्री रेडिकल्स कहा जाता है जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उम्र बढ़ने, बीमारी और सूजन में योगदान कर सकते हैं।

2-इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है।

पपीता विटामिन सी के सबसे समृद्ध स्रोतों में से एक है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत करता है, कोलेजन संश्लेषण को बढ़ावा दे सकता है और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचा सकता है।

3-त्वचा को स्वस्थ रखता है

पपीते में बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन और ल्यूटिन जैसे कई कैरोटीनॉयड होते हैं, जो यूवी क्षति से बचा सकते हैं, त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं और कैंसर, हृदय रोग और धब्बेदार अध: पतन जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।

4-सूजन को कम करता है

पपीते में फ्लेवोनोइड्स भी होते हैं, जैसे क्वेरसेटिन और केम्फेरोल, जो सूजन को कम कर सकते हैं, रक्त प्रवाह में सुधार कर सकते हैं और कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं।

पपीते में एंटीऑक्सिडेंट के अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं, जैसे आंखों के स्वास्थ्य में सुधार, संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम को कम करना और डीएनए क्षति को रोकना।

5-पाचन तन्त्र के लिये लाभदायक

पपीता उन कुछ फलों में से एक है जिनमें पाचक एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन होते हैं जो पाचन तंत्र में भोजन को तोड़ने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

पपीते में दो मुख्य एंजाइम हैं: (Papita Khane Ke Fayde)

पपैन: पपैन एक प्रोटियोलिटिक एंजाइम है जो प्रोटीन को छोटे पेप्टाइड्स और अमीनो एसिड में तोड़ सकता है, जो प्रोटीन पाचन में सहायता कर सकता है और एलर्जी और असहिष्णुता के जोखिम को कम कर सकता है।


काइमोपैन: काइमोपैन एक अन्य प्रोटियोलिटिक एंजाइम है जो प्रोटीन को तोड़ने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया और अस्थमा जैसी सूजन की स्थिति वाले लोगों को लाभ पहुंचा सकता है।


पपीते में पाए जाने वाले पाचक एंजाइम सूजन, गैस और कब्ज जैसे पाचन लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं और आंत में लाभकारी बैक्टीरिया के विकास का समर्थन करके आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।

पपीते में जलनरोधी यौगिक (Papita Khane Ke Fayde)

पपीते में कई एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो कई पुरानी बीमारियों में एक आम अंतर्निहित कारक है।

6- दाद खाज के लिये उपचार

पपीते में एन्टी फंगल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैँ इसी कारण दाद की समस्या जो फंगल इन्फेक्शन के कारण होती है उसमें पपीता खाना फायदेमन्द हो सकता है। एक रिसर्च के अनुसार पपीते के बीज फल पत्तियों छल व जड़ का उपयोग दाद खाज या अन्य स्किन संबंधी मामलों में असरदार हो सकता है।

7- प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाता है

इस सब्जेक्ट पर हुए रिसर्च में पाया गया है कि पपीते के अन्दर मैलिक एसिड ,क्विनिक एसिड,कारापाईन और क्लिटोरिन नामक यौगिक होते हैँ और ए सभी प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता को ज्यादा बढ़ा सकते हैँ।

इसीलिये डेंगू के मामले में घरेलू नुस्खे के अन्दर पपीता और पपीते के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

8- घाव भरने में सहायक

प्राइमरी रिसर्च में पता चला है कि सर्जिकल घाव के किनारों पर पपीते के फल की ड्रेसिंग करने पर घाव शीघ्र भर सकता है क्यूँकि पपीते के रस के अन्दर घाव को हील करने की क्षमता होती है।

9- वजन कम करने में सहायक

मेडिकल रिसर्च में मानें तो पपीते में कम कैलोरी व फाइबर ज्यादा उच्च मात्रा में पाए जाते हैँ और एन्टी ओबेसिटी गुण मौजूद होता है जो मोटापा और वजन कम करने में मददगार हो सकता है

10- डाइबिटीज से राहत

पपीते के अन्दर एन्टी डाइबिटीज गुण पाया जाता है जो शुगर पेशेंट के लिये लाभदायक हो सकता है।

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11- डैन्ड्रफ को कंट्रोल करता है

(Papita Khane Ke Fayde)

पपीते के अन्दर बायो फ़लेवोनोइड्स और एन्टी डैन्ड्रफ की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसलिये पपीता बालों से रूशी को दूर करने नें मदद सकता है।

और इसी कारण शैम्पू व साबुन में पपीते का अर्क मिलाया जाता है ताकि बालों के झड़ने व रूशी को रोकने में मदद मिल सकती है।

पपीता किसे नहीं खाना चाहिये ?

जो लोग लेटेक्स एलर्जी से पीड़ित हैँ उनको पपीता खाना नुकसानदेह हो सकता है।
गर्भावस्था में पपीते का सेवन करने से बचना चाहिये क्योंकि पपीता में पपैन नामक यौगिक पाया जाता है जो गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिये जहर का कम कर सकता है।

पपीता गर्म है या ठंडा ?

पपीते की तासीर गरम होती है जो सर्दी में शरीर को गरम करता है।

पपीता खाने के बाद क्या नहीं खाना चाहिये ?

पपीते के साथ नींबू या तुरन्त बाद में नींबू नहीं खाना चाहिये। नींबू और पपीता का कॉम्बिनेशन घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि ऐसा करने से अनिमिया और हीमोग्लोबिन का इम्बैलेन्स होता है और खास तौर पर बच्चों को भारी नुकसान हो सकता है।

पपीता खाने से पीरियड

पपीते के अन्दर यूटरोटॉनिक प्रॉपर्टीज पाई जाती है जो पीरियड की अवधि को जल्दी करने में मदद कर सकती है।

1 दिन में पपीता कितना खाना चाहिये ?

आयुर्वेद के हिसाब से हर चीज खाने का एक सही समय बताया गया है। पपीता सुबह 5 से 10 बजे तक खाना ज्यादा लाभदायक होता है। और दिन में एक कटोरी पपीता खाना स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होता है

डिस्क्लेमर : इस लेख में बताए गये टिप्स और अड्वाइस केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैँ। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में इन्हें आजमाने से पहले किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें। ‘Health Information Magazine’ इसके लिये उत्तरदायी नहीं है।

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